चाय पीने पिलाने वालो पर कुछ हास्य व्यंग
सुबह उठते ही,बीबी को दो चाय पिलाए।
सारे दिन खुश रहे,मुंह भी बंद हो जाए।।
आंखे न खोलिए,जब तक चाय मिले न तोय।
सुड सुडा कर पीजिए,मूड फ्रेश तब ही होय।।
रहिमन चाय पीजिए,दूध मिले न कोय।
बिन चाय के भैया,आंखे खुले न कोय।।
चाय में बहुत गुण,देती सबको ये चुस्ती।
सुबह शाम ये मिले तो,मिट जाएं सुस्ती।।
चित्रकूट के घाट पर,भई संतन की भीर।
चाय पी रहे हैं बैठकर,राजा रंक फकीर।।
राम नाम के लूट है,लूट सको तो लूट।
कबीरा चुस्ती पायेगा,पीकर दो घूट।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम