Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2021 · 1 min read

चाय पर मुलाकात

फिज़ाओं में रंगत थी
बहारों में थी खुशबू
एक शाम ऐसी आई
हर तरफ थी खुशबू।।

दिल में थे जज़्बात
आंखों में इंतजार
होंठों पर इजहार
और सांसों में प्यार।।

छोटी सी मुलाकात
जो यादों में कैद है
चाय पर वो मुलाकात
आज भी याद है।।

शरमा रहा था थोड़ा
आंखें चुरा रहा था वो
दिल में थी जो बात
मुझसे छुपा रहा था वो।।

चाय की प्याली उसके
लबों को छू रही थी
और बिजली सी मेरे
दिल में चुभ रही थी।।

हाल मैंने दिल का
उससे बयां किया
अपने प्यार का फिर
उससे इजहार किया।।

चाय खत्म होते ही
वो जाने को तैयार था
कुछ नहीं कहा मुझे
जब किया इजहार था

कैसे समझूं मर्ज़ी उसकी
वो तो खामोश था
जा रहा था छोड़कर अब
और मैं बेहोश था।।

जब होश आया मुझे
वो मेरे ही सामने था
मुझे मेरे सवाल का
वो जवाब दे रहा था।।

उसकी आंखों में वो
दिख रहा था प्यार
मुझे हमेशा से था
जिसका इंतजार।।

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 641 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
मर्द
मर्द
Shubham Anand Manmeet
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोई तो मेरा अपना होता
कोई तो मेरा अपना होता
Juhi Grover
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
Ravi Prakash
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
नलिनी छंद /भ्रमरावली छंद
Subhash Singhai
किसी और से इश्क़ दुबारा नहीं होगा
किसी और से इश्क़ दुबारा नहीं होगा
Madhuyanka Raj
हुआ क्या है
हुआ क्या है
Neelam Sharma
धोखा वफा की खाई है हमने
धोखा वफा की खाई है हमने
Ranjeet kumar patre
New88.co.uk là đại lý chính thức của nhà cái new88. Trang we
New88.co.uk là đại lý chính thức của nhà cái new88. Trang we
new88couk
पत्थर
पत्थर
Shyam Sundar Subramanian
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
"शुभकामना और बधाई"
DrLakshman Jha Parimal
"दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे, जो गम की घड़ी भी खुशी स
Harminder Kaur
पिता
पिता
Shweta Soni
3163.*पूर्णिका*
3163.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरा ग़म
तेरा ग़म
Dipak Kumar "Girja"
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
हम
हम
हिमांशु Kulshrestha
"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"ऐ वतन"*
Shashi kala vyas
एकांत चाहिए
एकांत चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
अंत बुराई का होता है
अंत बुराई का होता है
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
Dr Manju Saini
A Dream In The Oceanfront
A Dream In The Oceanfront
Natasha Stephen
रंग प्यार का
रंग प्यार का
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
VINOD CHAUHAN
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
Loading...