चाय पर मुलाकात
फिज़ाओं में रंगत थी
बहारों में थी खुशबू
एक शाम ऐसी आई
हर तरफ थी खुशबू।।
दिल में थे जज़्बात
आंखों में इंतजार
होंठों पर इजहार
और सांसों में प्यार।।
छोटी सी मुलाकात
जो यादों में कैद है
चाय पर वो मुलाकात
आज भी याद है।।
शरमा रहा था थोड़ा
आंखें चुरा रहा था वो
दिल में थी जो बात
मुझसे छुपा रहा था वो।।
चाय की प्याली उसके
लबों को छू रही थी
और बिजली सी मेरे
दिल में चुभ रही थी।।
हाल मैंने दिल का
उससे बयां किया
अपने प्यार का फिर
उससे इजहार किया।।
चाय खत्म होते ही
वो जाने को तैयार था
कुछ नहीं कहा मुझे
जब किया इजहार था
कैसे समझूं मर्ज़ी उसकी
वो तो खामोश था
जा रहा था छोड़कर अब
और मैं बेहोश था।।
जब होश आया मुझे
वो मेरे ही सामने था
मुझे मेरे सवाल का
वो जवाब दे रहा था।।
उसकी आंखों में वो
दिख रहा था प्यार
मुझे हमेशा से था
जिसका इंतजार।।