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7 May 2024 · 1 min read

चांद निकलता है चांदनी साए को तरसती है

साए पर सजी हुई चांदनी सी रात की है,
चाँद ने आंखों में महके हुए सी बात की है!!

हर सोच और ख़्वाब यहाँ मंज़र बन जाते हैं,
दिल को भर घोर तन्हाई की यूं बात की है!!

छूती है ये ज़मीं, बस साया-ए-दिगर रहता है,
कभी ज़िंदा होता है, कभी बेखबर रहता है!!

दरिया मंजिल की हर घटा यहाँ यूँ ढलती है,
चांद निकलता है चांदनी साए को तरसती है!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
26 Views
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