चांद देखा
चांद देखा
तारों की रोशनी,
मन की गहराई,
ना जाने कितना शोर,
मगर रात की चुप्पी से,
चाँद को देखा…..
आसमां की गोद में बैठा,
सितारों के बीच ,
बस एक तरफ चमकता…
सोचा, वो भी तन्हा है,
देखा खूबसूरती,
पर उदासी, कुरूपता
नजरअंदाज की
हाँ, देखा ……
सागर में ऊफान,
व्याकुल कोमल धरती से ,
चाँद को देखा…
तन्हाई का शोर,
गूंजता , ठोकर खाता
चांद की चांदनी,
बादल से उलझे,
फिर से सुलझे,
मेरी साँसें मुस्काई ,
हां….आज मैंने
चांद देखा……।