चांद छत से आकर रख गया ख़त
चाँद छत से आकर रख गया ख़त सिरहाने
आ गले लग जा सनम ,तू ईद के ही बहाने
मेरी मंजिल होकर ,तू मेरा इंतज़ार ना करें
मैं वापिस आऊँगा तेरे लिए,तू ही ना जाने
पतझड़ के बाद अक्सर ये बहार आती है
फूल भी खिलते लेकर गुलशन की मुस्काने
देख रंजिशें तल्खियां दुश्मनी एक तरफ रख
हम सभी हदें तोड़कर आये सनम तुझे मनाने
चल नींद आ रही है तो मेरी आगोश में सो जा
जरा सिकुड़ कर सो लेंगे छोटी चादर में दीवाने
माना कि दिल मेरा कांच सा तेरी बातें पत्थर
हम दिल लेकर आये हाथ मे बाकी कि तू जाने
आया हूँ तेरे शहर में ज़ख्म ताजा लेकर आज
मज़ा लेकर सुन रहें जो लगेंगे नमक भी लगाने
अशोक क़त्ल हो गया किश्तों में हमदर्दी दिखाओ
कैसा बच्चा सा था दिल चलो जनाजा उसका उठाना
अशोक सपड़ा हमदर्द