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18 Apr 2022 · 1 min read

चांद गगन का

चांद गगन का
———————-
वह देखो आज गगन में,
पूर्णिमा का चांद निकला है,
आसमा को किया स्वर्णिम रोशन
लगता है सुंदर-सुंदर,
चितचोर आसमां में।
वह देखो आज गगन में ,
पूर्णिमा का चांद निकला है—–

एक चांद है आसमान में,
बिखरे हैं असंख्य तारे,
टिम टिम करते आसमान में!
लगता है ऐसे,जैसे दीप जले हैं सारे,
वह देखो आज गगन में,
पूर्णिमा का चांद निकला है—–

लगता है जैसे फूल खिले हैं गगन में,
भर के थाली फूलों की,
आसमान में सजा दिए,
ओढ़ ली है सफेद चादर आसमान ने।
वह देखो आज गगन में,
पूर्णिमा का चांद निकला है—-

कभी छुप जाता बादल में,
कभी निकलता चांद,
तरह-तरह की अठखेलियां करता,
बच्चों को हे रिझाता,
वह देखो मां आज गगन में,
पूर्णिमा का चांद निकला है——

सुषमा सिंह *उर्मि,,

Language: Hindi
194 Views
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