चांद की चंद्रिका
यदि मैं तुम्हे चांद की चंद्रिका
या किसी अद्भुत वीणा की रागनी
या फिर कि गुलाब की पंखुड़ियों
से खिले तुम्हारे ये होंठ,
या तुम्हारे केशो को
काले घने मेघों की घटाएं
या किसी सौंदर्य उपवन की सारिका
आदि नहीं कहता
इसका यह अर्थ नहीं कि
मैं तुमसे प्रेम नहीं करता
बल्कि ये सारे उपमान मैले हो चुके है