चांदनी रातें भी गमगीन सी हैं।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
जुदाई ने जिंदगी की हर खुशी छीन ली है।
बिन तुम्हारे ये चांदनी रातें भी गमगीन सी है।।1।।
तेरे हर इक वादे पर हम खुद को मिटाते रहे।
तुम बेवफाई करते रहे हम वफा निभाते रहे।।2।।
दिल की तमन्ना में आरजूओं से तुम आए थे।
ख्वाहिशे आरजूओं में तुम ही तुम समाएं थे।।3।।
खुदा के बाद तुमको ही मैने सब कुछ माना।
पर तुम निकले मेरे कातिल बाद में ये जाना।।4।।
ऐ दिल मत याद कर वह बेवफाई का मंजर।
जब चला था हमारे दिल पर ज़ालिमे खंजर।।5।।
जिनके लिए दर बदर भटकता रहा उम्र भर।
वो मिले भी मुझे तो मिले अजनबी बन कर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ