“चांदनी के प्रेम में”
“चांदनी के प्रेम में”
चांदनी के प्रेम में
निशा के तीसरे पहर तक
शीतल हुई रेत
फिर तैयार होने लगती है
सूरज से आँख मिलाने को,
रेगिस्तान को
उसके नाम के अनुरूप
यथेष्ट सम्मान दिलाने को।
“चांदनी के प्रेम में”
चांदनी के प्रेम में
निशा के तीसरे पहर तक
शीतल हुई रेत
फिर तैयार होने लगती है
सूरज से आँख मिलाने को,
रेगिस्तान को
उसके नाम के अनुरूप
यथेष्ट सम्मान दिलाने को।