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22 May 2024 · 1 min read

चाँद

चाँद लेकर आता संग धवल चाँदनी
निशा पूर्णिमा की होती आनंददायिनी

हो जाता मन कुसुमित,प्रमुदित, सुवासित
तारागण झिलमिलाते पीकर सुधारस

होता सोलह कला संपूर्ण शरद का चांद
श्री कृष्ण गोपियों संग करते महारास

बँधा रहे प्यार सदा रूहानी बंधन से
माँगते दिव्य वरदान लक्ष्मी विष्णु से

चमकीले उजास में अधूरे रिश्ते तृप्त
रिश्ते हों पवित्र पीकर चाँदनी अमृत

हो जाएं उदास राहें भी चमकीली सी
पूनम के चाँद में हो रात मदहोश सी

हर दिन बढ़ता चांद देता है उम्मीद
बाद अमावस चांद दिव्य आलोकित

डॉ दवीना अमर ठकराल’देविका’

1 Like · 48 Views
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