मेरे हिस्से की धूप
डॉ. दवीना अमर ठकराल "देविका"
हम सब के हृदय में पलती, पनपती, पल्लवित और पोषित होती हैं संवेदनाएँ, आकांक्षाएँ, दुर्बलताएँ और सम्भावनाएँ ये जब शब्दों में ढल कर काव्यात्मक रूप लेती हैं तो प्रारूपित होता है एक काव्य संग्रह ”मेरे हिस्से की धूप” जिसमें आप...