Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2023 · 1 min read

चाँद से मुलाकात

पहले चाँद आता था
छत पर हर रात
साथ लिए झिलमिल
तारों की बारात
होती थी कभी गंभीर
कभी छुटपुट सी बात।

कभी अचानक से यूं ही
दिखता था आँगन में
खेलता आँख-मिचौली सा
बेवजह की गुफ़्तगू संग
कभी किसी रात हो जाती
खिड़की पर मुलाकात।

फिर इमारतें निगल गयीं
छतों को वक्त के साथ
खिड़कियाँ सिमट सी गयीं
बंद दरवाजों में अपने
आँगन भी लुप्त से हो गये।

अब गुजरते चले जा रहे हैं
दिन, महीने और साल
नहीं कर पाते चाँद और मैं
गुफ़्तगू और मुलाकात।

कभी कहीं दिख जाए चाँद
चुरा लेती हूँ नजर एक
फीकी सी मुस्कुराहट के साथ।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक:- १४/१२/२०२३.

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 539 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Khanna
View all
You may also like:
#आह्वान
#आह्वान
*प्रणय*
Reaction on RGKAR medical college incident
Reaction on RGKAR medical college incident
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
Shyam Sundar Subramanian
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
कवि दीपक बवेजा
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हम  चिरागों  को  साथ  रखते  हैं ,
हम चिरागों को साथ रखते हैं ,
Neelofar Khan
" वफ़ा "
Dr. Kishan tandon kranti
हे ! अम्बुज राज (कविता)
हे ! अम्बुज राज (कविता)
Indu Singh
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हंसना आसान मुस्कुराना कठिन लगता है
हंसना आसान मुस्कुराना कठिन लगता है
Manoj Mahato
*
*"माँ महागौरी"*
Shashi kala vyas
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
Ajit Kumar "Karn"
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
Dr Mukesh 'Aseemit'
Pyaaar likhun ya  naam likhun,
Pyaaar likhun ya naam likhun,
Rishabh Mishra
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
Rajesh Kumar Kaurav
हे देश मेरे
हे देश मेरे
Satish Srijan
दिल तो बदल जाता है पलभर में
दिल तो बदल जाता है पलभर में
gurudeenverma198
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
नेताम आर सी
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
अंसार एटवी
तुमने जाम अपनी आँखों से जो पिलाई है मुझे,
तुमने जाम अपनी आँखों से जो पिलाई है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3548.💐 *पूर्णिका* 💐
3548.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी तेरी हद
ज़िंदगी तेरी हद
Dr fauzia Naseem shad
जमाना खराब है
जमाना खराब है
Ritu Asooja
सच्ची प्रीत
सच्ची प्रीत
Dr. Upasana Pandey
मांँ
मांँ
Diwakar Mahto
भरोसे का बना रहना
भरोसे का बना रहना
surenderpal vaidya
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
Ravi Prakash
तुम कितने प्यारे हो
तुम कितने प्यारे हो
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...