चाँद मेरी छत पर आया
जब वो छत पर है आया
ये चाँद भी देख सरमाया
कभी छुपा कभी दिखा
तो कभी उसे रोना आया
जब वो छत पर आया
तो दिल को सुकून आया
उस चंद लब्जो में ही
फूलों को हे बरसाया
वो मेरा चाँद छत पर आया
न मैं कुछ बोला न उसने सुनाया
फिर जाने ये दिल किसने धड़काया
उसकी यादों का ये हिस्सा
मेरी ज़िंदगी मे आया
जब उसने छुआ मुझको
तो जाने क्यों नशा छाया आया
मदहोशी ने मुझे सताया
जब उसका हाथ मेरे हाथों में आया
स्वर्ग से भी ज्यादा सुकून आया
जब उसने मुझे गले से लगाया
मैंने कहाँ तू मुझे देख क्यूँ सरमाया
तुझे देखकर तो ये चाँद भी लजाया
कुदरत का दूसरा चाँद मेरी छत पर आया
जब रुख से उसने नकाब हटाया
मेरी सासो को उबाल आया
जब उसने मुझे दिल से लगाया