Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2016 · 1 min read

चाँद दिन में निकलने लगा है !!

चाँद दिन में निकलने लगा है!!

चाँद दिन में निकलने लगा है
वो तो दिल में उतरने लगा है ।।

छा गया इश्क़ ए आसमां पे
खूब ही वो चमकने लगा है।।

दूज का तो कभी चौदहवीं का
खूब वो रंग बदलने लगा है ।।

मदहोशी के छाये है बादल
थोड़ा थोड़ा बहकने लगा है ।।

बन गया आज वो पूनम का
खूब अमृत टपकने लगा है ।।

“दिनेश”

2 Comments · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परिवार का सत्यानाश
परिवार का सत्यानाश
पूर्वार्थ
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
अनिल कुमार
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा- छवि
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
........,!
........,!
शेखर सिंह
हमारे जैसी दुनिया
हमारे जैसी दुनिया
Sangeeta Beniwal
मर मिटे जो
मर मिटे जो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक लेख...…..बेटी के साथ
एक लेख...…..बेटी के साथ
Neeraj Agarwal
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
Dr. Man Mohan Krishna
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
Rituraj shivem verma
मुसाफिर
मुसाफिर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मां नही भूलती
मां नही भूलती
Anjana banda
लोकतंत्र का मंत्र
लोकतंत्र का मंत्र
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कई राज मेरे मन में कैद में है
कई राज मेरे मन में कैद में है
कवि दीपक बवेजा
चुगलखोरी एक मानसिक संक्रामक रोग है।
चुगलखोरी एक मानसिक संक्रामक रोग है।
विमला महरिया मौज
छात्रों का विरोध स्वर
छात्रों का विरोध स्वर
Rj Anand Prajapati
💐अज्ञात के प्रति-128💐
💐अज्ञात के प्रति-128💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
"मन बावरा"
Dr. Kishan tandon kranti
उसको फिर उसका
उसको फिर उसका
Dr fauzia Naseem shad
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
Satish Srijan
#सब_त्रिकालदर्शी
#सब_त्रिकालदर्शी
*Author प्रणय प्रभात*
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तिरी खुबसुरती को करने बयां
तिरी खुबसुरती को करने बयां
Sonu sugandh
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
सकट चौथ की कथा
सकट चौथ की कथा
Ravi Prakash
Loading...