चाँद तारे गवाह है
**** चाँद तारे गवाह ****
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चाँद तारे सारे गवाह है
तेरा मेरा हुआ निकाह है
पेड़ पौधे खुशी से झुके है
चलने लगी हवा पूर्वाह है
लहरें किनारों से टकरायी
बहे धारा तेज प्रवाह है
कली भी हैं महकने लगी
खिले फूलों की वाह वाह है
बिछड़े पंछी हैं मिलने लगे
प्रेम दरवेश की दरगाह है
प्यार की रुत हसीन है आई
भौंरों की मान ली सलाह है
मुकद्दर का मिला है सहारा
माफ हो गए सभी गुनाह हैं
सुखविन्द्र बलिहारी है जाए
किसी की भी नहीं परवाह है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)