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28 May 2017 · 1 min read

चाँद की रजाई

आज यह बादल क्यों फट गया गरीब की रजाई की तरह।
या फिर किसी पांव में फटी बिबाई की तरह।
इस फटी रजाई में तन छुपाता है शशि।
इस में ही मौका देखकर दुबक जाता है रवि।
दोनो इस रजाई में सिमट-सिमट जाते है।
शीतऔर बयार से लिपट -लिपट जाते है
शशि उठता है कुछ झाँकता है, बाहरी ठंड से खुद काँपता है।
तो लपक कर सिमट जाता है पुन उसी रजाई मे एक गिजाई की तरह।
गरीब के घर में एक रजाई जिसमें समस्त सदस्य शीत प्रकोप से डर कर सिमट जाते हैं।
ठीक उसी तरह समस्त आकाशीय पिंड बादलों की रजाई में छिपक जाते हैं।
आई ऑधीऔर यहफटा घन उड गया।
बेचारे चाँद का चेहरा लज्जा से फक पड गया।
उड गई फटी रजाई भी और वह नग्न रह गया।
सोच रेखा गरीब फिर भी सह जाता है सारी ठंड सीमा के वीर प्रहरी की तरह।

Language: Hindi
1 Like · 301 Views
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