चाँद कहा करता है
मुझसे चांद कहा करता अक्सर
मेरे कमरे के झरोखे से,
चमकते वही है दुनियां में काम
करें जो अनोखे से।
मैं घटता हूं फिर बढ़ता हूं ऐसे ही
रोज चमकता हूँ,
ये घटना बढ़ना जीवन है बचना
दुनियां के धोखे से।
कुछ कमियां हम में जरूरी हैं
वरना तो मगरूरी है,
सच की राह में चलना तुम ना
रुकना किसी के रोके से।
रातें हो अमावस की अँधियारी
डर जाना नहीं,
होगा पूर्णमासी का उजियारा
इक हवा के झोंके से।
न हो कोई सहारा खुद के साथी
बन जाना तुम,
किस्मत बदल जाती पल में एक
सुनहरी मोके से।
दुनियां के दुखों का ग्रहण तुम्हें
भी जकड़ेगा,
हिम्मत से लड़ना तुम दुख हो
जाएंगे छोटे से।
आसमान भी तेरा ओर तारे भी
तेरे होंगे,
चमकेगी हज़ारों रश्मियां अंधेरे
के कोठे से।
जब मन चाहे बातें करना मैं तो
रोज ही आऊंगा,
मन की बातें तुम कहना कानों
मेरे हल्के से।
सीमा शर्मा