चाँद और दिया
मीलों लम्बे फासले के बीच,
टिमटिमाता एक दिया
आश और विश्वास का।
अनगिनत कड़वाहटों के दरम्यान,
पुरातन
मान्यताओं को निभाता एक दिया।
अहं के झोंखों से अँधेरे में
लड़खड़ाता एक दिया।
सामाजिक होड़ में रीतिरिवाजों को,
झुठलाता एक दिया।
चाँद से मिलन की चाह में,
दूधिया रोशनी में
चमचमाता एक दिया ।