!! चहक़ सको तो !!
चहक़ सको तो चहको इतना
गीत ग़ज़ल पर बात नई हो
“अम्बर” को, छूने से पहले
क़दमों की शुरुआत नई हो
महक बिखेरो जग में इतना
ख़ुश्बू की बरसात नई हो
बीत चुके जो, लम्हें कल के
उनसे मुलाकात नई हो —
चंपा, बेला, जुही, चमेली
कलियों सी सौगात नई हो
बनो धरा के अमिट छाप तुम
“चुन्नू”नई कृति की पांत नई हो
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)