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6 Aug 2017 · 1 min read

चल जरा चल जरा

चल जरा चल जरा
रुक जरा देख जरा
घाम होने को आयी
सुखा कंठ जरा

फुरसत मे आ दो घुंट लगा
ठंड छाव मे बैठ जरा
सिश नवा निंद लगा
होश मे आ…
बटोही चल जरा

पूछ जरा बता जरा
राही राह देख
दिखे तो हँस जरा
वरना चल जरा चल जरा

मंडराते बादल सर पे आये
वो दुःख जरा सुख जरा
देख शाम होने को आयी
मंजिल नजर नही आयी…ठहर जरा
तारो का चादर औढ जरा

भौर हो आयी
फिर आवाज आयी
चल जरा चल जरा
घाम जरा वो शाम जरा

रुक जरा चल जरा
जिंदगी का यही जरजरा
मिले तो मंजिल न मिले तो
चल जरा चल जरा ……
…..श.रा.म.

Language: Hindi
1 Like · 245 Views
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