चल जरा चल जरा
चल जरा चल जरा
रुक जरा देख जरा
घाम होने को आयी
सुखा कंठ जरा
फुरसत मे आ दो घुंट लगा
ठंड छाव मे बैठ जरा
सिश नवा निंद लगा
होश मे आ…
बटोही चल जरा
पूछ जरा बता जरा
राही राह देख
दिखे तो हँस जरा
वरना चल जरा चल जरा
मंडराते बादल सर पे आये
वो दुःख जरा सुख जरा
देख शाम होने को आयी
मंजिल नजर नही आयी…ठहर जरा
तारो का चादर औढ जरा
भौर हो आयी
फिर आवाज आयी
चल जरा चल जरा
घाम जरा वो शाम जरा
रुक जरा चल जरा
जिंदगी का यही जरजरा
मिले तो मंजिल न मिले तो
चल जरा चल जरा ……
…..श.रा.म.