चलो
आवो हम सब मिल चलें
जमुना जी के टिड
उत श्याम बंसी बजे
राधा भर लावे नीर।
राधा भर ल्यावे नीर
कदम्ब की छांव है बैठी
कान्ह ढ़ेर की बंसी को
वह अपनी सुध बुद्ध दे बैठी ।
वह अपनी सुध बुध दे बैठी
की रैनदीनाअंतर न सूझै
उसके घायल मन की
कोऊ कछु न भुझै।
कोउ न बुझै बावरे
चातक बन गए नैन
कृष्ण कृष्ण अधर करें
श्वांस शवान्स म चैन।।