चलो…
चलो कुछ ऐसा करते हैं,
जैसा दिल कहे, वैसा करते हैं।
चलो एक नया आशियाना बनाते हैं।
भटकते हुए को सही राह दिखाते हैं।
रोते हुए को हँसाते हैं, टूटे हुए का हौसला बढ़ाते हैं।
इंसान हैं हम, इंसान बनकर दिखाते हैं।
ख़ुद भी बनते हैं और दूसरों को भी बनना सिखाते हैं।
चलो इंसान बन इंसानियत निभाते हैं।
चलो एक नया आसमान बनाते हैं।
ख़ुद भी उड़ते हैं और दूसरों को भी उड़ना सिखाते हैं।
✍️सृष्टि बंसल