चलो स्वयं से इस नशे को भगाते हैं।
प्रबल इच्छा शक्ति दिखाते हैं,,,
चलो स्वयं से इस नशे को भगाते हैं!!!
नशा हमसे से या हम नशे से है,,,
आज से अभी से इस नशे को ये बताते है!!!
ना जानें कितने घर इसने उजाड़े है,,,
परिवार के जवान मर्द इसने खाये है!!!
सिन्दूर लगाने को औरतों की मांगें तरसती है,,,
खोए हुए लाल की खातिर माताएं तड़पती है!!!
कहते है कोई ना कोई तो नशा होना चाहिए,,,
इंसान को नशें में जीवन जीना चाहिए!!!
तो नशा करते है मां बाप की सेवा करने का,,,
नशा करते है इश्वर की भक्ति करने का,,,
नशा करते है दृढ़ इच्छाशक्ति पर टिके रहने का,,,
आओ हम सब मिलकर ये प्रण उठाते है,,,
चलो स्वयं से इस नशें को भगाते है!!!
हम हिंदुस्तान की धरती पर रहते हैं,,,
सभी धर्मों को ईश्वर यहां पर बसते हैं!!!
कोई ना कोई तो हृदय की सुनेगा,,,
भक्ति करने से ही ये नशा भगेगा!!!
लड़कर स्वयं से ही नशे को हराते हैं,,,
चलो स्वयं से इस नशे को भगाते हैं!!!
दर्द तो होगा इस शरीर को,,,
कष्ट तो होगा मन की तृष्णा को!!!
परंतु आने वाले कल के लिए,,,
इस दर्द और कष्ट को उठाते है,,,
चलो स्वयं से इस नशे को भगाते हैं!!!
शान्त चित मन से स्वयं सोचते है,,,
यदि नशा ना करते तो आज हम कहां होते!!!
स्वयं भी त्यागते है दूसरों को समझाते हैं,,,
समाज की जवानी को नशा मुक्त कराते हैं!!!
खोई बुद्धि और बल को वापस पाते है,,,
चलो स्वयं से इस नशे को भगाते हैं!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ