“चलो मिल जायें”
चलो इक दूजे से कुछ ऐसे मिल जायें।
पानी में जैसे,कोई मिश्री घुल जाए
एक मस्ज़िद में कहीं “आरती” सुन आयें
कुछ दूर मंदिर में वहीँ “आयत” पढ़ आयें
चलो इक दूजे से हम ऐसे मिल जायें
ईद पे आओ कुछ “दीप” जगमगायें
दीवाली पे अपनों से कुछ “ईदी” ले आयें
गिरजा में “गुरबानी” चलो हम सुन आयें
गुरूद्वारे में श्रद्धा से “मोमबत्तियां” जलायें
चलो एक दूजे से हम ऐसे मिल जायें
मुशायरे में आओ कुछ “कविता” गुनगुनायें
कवि से वहीँ एक “ग़ज़ल” सुन आयें
आओ इक दूजे में कुछ ऐसे घुल जायें
पानी में जैसे कोई मिश्री घुल जाए??
©”इंदु रिंकी वर्मा”