चलो प्रेम के प्रकाश में, कुंभ हरिद्वार में
चलो प्रेम के प्रकाश में,कुंभ हरिद्वार में
अमरत्व के प्रकाश में, प्रेम के आकाश में
भक्ति के संसार में, पवित्र गंग धार में
प्रेम के प्रवाह में, जीवन के निर्वाह में
अथाह गहरे प्यार में, निर्बाध इस संसार में
प्रेम गहरी भक्ति है, ईश्वरीय शक्ति है
प्रेम अमरत्व है, ईश्वरीय तत्व है
प्रेम ज्ञान प्रकाश है, सृष्टि का विकास है
घृणा नाशवान है, हिंसा द्वेष का मकान है
हिंसा अंधकार है, एक महा विकार है
जाग जा प्रकाश में, प्रेम के आकाश में
आत्मा के साथ में, मानवता के पास में
परमपिता अलग नहीं, धर्म पर लड़ो नहीं
एक नूर खास है, परमात्मा प्रकाश है
प्रेम का उजास है, प्रेम ही प्रकाश है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी