चलो दूर चलें
इस जमाने की रूसवाईयो से चलो दूर चलें
दिल की मायूस तन्हाईयों से चलो दूर चलें
लोग तकते हैं हमें बेगैरत निगाहों से हरदम
क्यों रहें इनकी परछाईयों से चलो दूर चलें
क्यों रहें बेमुरव्वत नफरतों के जहाँ में हम
आज गम भरी मायूसियों से चलो दूर चलें
नहीं जमाने को मोहब्बत रास आई हमारी
इस जमाने की दुश्वारियों से चलो दूर चलें
चलो”विनोद”चलते हैं हाथ पकड़कर दोनों
अब जिंदगी की गहराईयों से चलो दूर चलें