चलो ! कोई तराना छेड़ो ।
चलो ! कोई तराना छेड़ो ,
खूबसूरत सा ,प्यारा सा ।
जो सागर जैसा विशाल हो,
शांत और काफी गहरा सा ।
या नदी की तरह लहराता ,
शीतल और चंचल सा ।
तराना कोई फूलों सा कोमल,
रंगीन और महका महका सा ।
ऐसा तराना छेड़ो जो मन और
आत्मा को, दे जाए सुकून सा।
बहुत जरूरी है आज के कठिन
में ,हो जो असीम आनंद सा ।
श्वासों को साज बनाकर रूह ,
भी जिसे गाने लगे वो रूहानी सा ।
एक मधुर ,तेजस्वी और जीवन से
भरा तराना मस्ती भरा सा ।
महामारी से त्रस्त समस्त धरतीवासियों के
लिए जो लगे अपना सा।