“चलो अच्छा है”
यह वक्त यूँ ही गुजर जाए तो भी चलो अच्छा है।
कुछ हस्ती अपनी बिखर जाए तो भी चलो अच्छा है।
जीता रहता हूँ हर वक्त इस नई उम्मीद के साथ।
आने वाला वक्त कुछ निखर जाए तो भी चलो अच्छा है।
सहता रहता हूँ जिंदगी के थपेड़ों को इस कदर कि।
जिंदगी कुछ पल तू ठहर जाए तो भी चलो अच्छा है
दर्द का एहसास कुछ इस कदर गुदगुदाता रहे।
इस दर्द के दरिया में उतर जाए तो भी चलो अच्छा है।
कभी तो आएगा एक दिन जिंदगी में नया सवेरा।
यह आस दिल में ठहर जाए तो भी चलो अच्छा है।
सुना है हर शाम ढलती है नए सवेरे के लिए।
जिंदगी की शाम ढल जाए तो भी चलो अच्छा है।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक –
मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’
असिस्टेंट प्रोफेसर
स0ब0 पी0 जी0 कॉलेज
बदलापुर , जौनपुर