Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Aug 2021 · 1 min read

चले नौका गहन सागर

चले नौका गहन सागर किनारे याद रहते है
कभी हो चूक नाविक से किनारे याद रहते है

करे जब हरकतें बालक हमेशा माफ करती माँ
बड़े हो तब यहीं पल फिर करारे याद रहते है

पढ़ाई के समय मिलकर शरारत प्यार भर करते
मिला करते न साथी वो हमारे याद रहते है

जवां होकर जवानी की सभी शामें बिती कैसी
प्रिया के साथ हो जब वो तुम्हारे रहते है

चली बीती उमर जाये न दिन वो लोट आने है
कभी मनु सोचती है तब कुँवारे याद रहते है

80 Likes · 1 Comment · 491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"वो कलाकार"
Dr Meenu Poonia
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वरदान
वरदान
पंकज कुमार कर्ण
"खिड़की"
Dr. Kishan tandon kranti
मन का कारागार
मन का कारागार
Pooja Singh
हे! प्रभु आनंद-दाता (प्रार्थना)
हे! प्रभु आनंद-दाता (प्रार्थना)
Indu Singh
साल ये अतीत के,,,,
साल ये अतीत के,,,,
Shweta Soni
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
gurudeenverma198
ख्वाहिशों के बैंलेस को
ख्वाहिशों के बैंलेस को
Sunil Maheshwari
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
सुकून
सुकून
Neeraj Agarwal
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कविता
कविता
Neelam Sharma
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
शेखर सिंह
फितरत में वफा हो तो
फितरत में वफा हो तो
shabina. Naaz
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
कोशिश न करना
कोशिश न करना
surenderpal vaidya
23/20.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/20.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*यह दौर गजब का है*
*यह दौर गजब का है*
Harminder Kaur
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*प्रणय प्रभात*
मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ
मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
Mahendra Narayan
प्राप्त हो जिस रूप में
प्राप्त हो जिस रूप में
Dr fauzia Naseem shad
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
Ravi Prakash
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
Loading...