*चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)*
चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)
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चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं
1)
चलो जहॉं पर विद्वानों का, लगता प्रवचन-मेला
जिनकी वाणी में शाश्वत का, सत्य हमेशा खेला
उनके चरणों को धोकर हम, अपना शीश झुकाऍं
2)
बच्चों की मुस्कानों में नित, नई सृष्टि को गाओ
उनको रोता जब भी देखो, ऑंसू पोछ चुपाओ
प्रेम-भरी यह फुलवारी हैं, कभी नहीं मुरझाऍं
3)
हर पक्षी हर पशु में जीवन, सदा निरंतर चलता
हर निर्धन-धनवान मनुज में, एक तत्त्व ही पलता
जो भूखे हैं आगे बढ़कर, रोटी उन्हें खिलाऍं
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451