चले आओ अभी सांस बाकी है
चले आओ अभी सांस बाकी है
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चले आओ अभी सांस बाकी है,
करो कोशिश ज़रा आस बाकी है।
गई है फुट किस्मत जहां में अब,
बचा केवल तनिक नाश बाकी है।
हुआ है खेल अब ख़त्म जीवन में,
कफ़न रूपी यहाँ ताश बाकी है।
देख कर हार बैठे जगत सारा,
तुझे देखूं यही प्यास बाकी है।
बिछोना आखिरी यार मनसीरत,
हुआ सब काम अरदास बाकी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)