चली पुजारन…
सात्विक भाव रिदय में आया।
लगा लूँ प्रभु-भक्ति में काया।
चली ‘पुजारन’ देवालय को,
विधिवत् पूजा-थाल सजाया।
घट-घट वासी देखूँ घट में,
घट-पूजन कर अर्घ्य चढ़ाया।
धूप-दीप औ अगरु-धूम ने,
धो विकार मन-नभ महकाया।
अर्ज करूँ तुमसेे ज्योतिर्मय,
हर लो तम जो जग में छाया।
जाल पसारे बाँधे सबको,
जग ये सारा तेरी माया।
ज्ञान-चक्षु से देखा जब-जब,
भेद न कोई तेरा पाया।
भक्ति-भाव से ध्याया ज्यों ही,
वरद हस्त बढ़ सर पे आया।
कृपा-दृष्टि हो प्रभु की जग पर,
हवस-दैत्य का पड़े न साया।
मैं नश्वर तुम आदि-अनश्वर,
तुममें सब ब्रह्मांड समाया।
‘सीमा’ का विस्तार तुम्हीं प्रभु,
मिले तुम्हीं से सुख मनभाया।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद