चलती जिंदगी में ______ गजल/गीतिका
धूप छांव की तरह उतार चढ़ाव,
चलती जिंदगी में आते हैं।
दे जाते हैं कभी सुख के मोती,
कभी आंखों से आंसू बहाते हैं।।
हंसते गाते रोते मुस्कुराते,
दिन जिंदगी के गुजर जाते हैं।।
काया छूट जाती आत्मा कहां जाती,
फकत ईश्वर ही जान पाते हैं।।
जब तक जिए अनुनय यही कहे,
चलो “समरसता “अपनाते हैं..
राजेश व्यास अनुनय