चलता समय
समय? हां समय कभी रुकता नहीं।
कही भी, कभी भी ये ठहरता नहीं।।
‘थोड़ा रुको’ समय कभी कहता नहीं।
किसी के लिए भी खड़ा रहता नहीं।।
चाहे सारी दुनिया में हो जाए प्रलय।
क्रियाकलाप हो जाए अराजक मय।।
ये प्रकृति व्यवस्थाएं भी तोड़ दे लय।
फिर भी न रुकेगा ये चलता समय।।
खूंखार बब्बर शेर को भी देते बांध।
उफनती नदी पर भी बना देते बांध।।
कैसे-कैसे जटिल गूथियां देते सांध।
पर समय चक्र को नहीं पाते बांध।।
पर आज कहता है हमारा विज्ञान।
समय कभी भी नहीं चलता समान।।
ब्लैकहोल के तेज गुरूत्व को जान।
कह सकते समय गति नही समान।।
पर ये तो विज्ञान की एक गणना है।
समय जानने अभी और पढ़ना है।।
~०~
मौलिक और स्वरचित: कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या:०६ -मई २०२४-©जीवनसवारो