“चरित्र-दर्शन”
“चरित्र-दर्शन”
इंसान का असली चरित्र
तब सामने आता है,
जब वो नशे में
पूरी तरह डूब जाता है।
चाहे वो नशा-
रूप का हो कि तुरुप का हो
मय का हो कि मैं का हो
पद का हो कि कद का हो
पैसे का हो कि ऐसे-वैसे का हो।
“चरित्र-दर्शन”
इंसान का असली चरित्र
तब सामने आता है,
जब वो नशे में
पूरी तरह डूब जाता है।
चाहे वो नशा-
रूप का हो कि तुरुप का हो
मय का हो कि मैं का हो
पद का हो कि कद का हो
पैसे का हो कि ऐसे-वैसे का हो।