चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
बहुत अच्छे से सूरज को सवेरा जानता है
ख़ुदा के बाद की है दस्तरस जो जान पाया
मिरे अंदर की बातें दिल ये मेरा जानता है
नहीं ऐसा नहीं होता कि शाख़ों को बदल दे
परिंदा अच्छे से अपना बसेरा जानता है
बहुत मुश्किल नहीं है काम ऐसा भी मगर हाँ
यूँ साँपों को पकड़ना तो सपेरा जानता है
कहाँ कैसे चुराना और फिर कितना चुराना
ये सब तरकीब तो शातिर लुटेरा जानता है
~अंसार एटवी