चमत्कार
परेशानी में हर शख्स चिपकता है
कि कैसे अंदर से सब उगलवा ले
और आपकी इस परेशानी का
जी भर – भर कर खूब मजा ले ,
कोई ये जरा भी नही समझता
परेशानी से कैसे वो अलहदा है
आज मैं तो कल तुम भी
इस परेशानी का यही कायदा है ,
क्यों भागते हो यूँ तुम
दूसरों की परेशानी से
अपनेपन के मरहम से
लकीरें मिटा दो पेशानी से ,
जब उसकी परेशानी पोछोगे
अपने प्रेम के रूमाल से
वही रूमाल तुम्हारी भी पेशानी पे होगा
तुम्हारे उस प्रेम के कमाल से ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 20/09/2020 )