चमत्कार होते न अचानक
चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं।
पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।।
वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते।
शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में भरते।।
चम्पक वन में चंचरीक इव, सन्त मान पाते हैं।
पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।।
चतुर चिकित्सक सुकवि न्यायविद, जो स्वधर्म पर चलते।
जो जीवन देते समाज को, जो न किसी को खलते।।
कामधेनु या कल्पवृक्ष की, श्रेणी में आते हैं।
पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।।
वैज्ञानिक अनवरत शोध में, जो निज आयु बिताते।
व्यापारी जो उदरपूर्ति हित, जगमंगल को ध्याते।।
श्रमिकों का सहयोग प्राप्त कर, रामराज्य लाते हैं।
पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी