चमचौआ शॉर्टकट
एक दिन की है बात
वैसे उसे मैं रोज देखती
पत्थरों की ढेरी पर
कि एक छोटा-सा
गोल-मटोल ‘चमचौआ’ पत्थर
ना-ना पत्थर का बच्चा कहिये
ढेरी से लुढ़क कर
नदीजल में चले जाते,
किन्तु हरदिन की तरह
जलधारा
पुन: उसी गति से
ढेरी पर ही भेज देते।
लेकिन उसदिन
ऐसा नहीं हो सका
वह नदी में गिरकर
विलीन हो गया था
और अगले दिन देखी
नदी भी सूखने लगी थी
सप्ताहभर में
वो नदी भी सूख गयी
और पंद्रह दिन आते-आते
नदी की सूखी धारा भी
नहीं दिखाई पड़ने लगी
उस होते अब
रास्ता भी बन गयी थी
शॉर्टकट !