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21 Jun 2019 · 1 min read

चमकी एक बुखार ने चमक लिया है छीन

चमकी एक बुखार ने चमक लिया है छीन
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चमकी एक बुखार ने, चमक लिया है छीन।
कोई बिन मुन्नी हुआ, कोई पुत्र विहीन।
कोई पुत्र विहीन, मगर संसद में भाई।
लगे ठहाके खूब, तनिक लज्जा ना आई।
लेकर हमसे वोट, हमीं को देते धमकी।
ये लूटेंगे देश, हमें लूटेगी चमकी।।

झूठी सी संवेदना, लेकर एक हजार।
कोई आया प्लेन से, कोई लेकर कार।
कोई लेकर कार, मगर है नहीं दवाई।
इनको अगुआ आज, कहें या कहें कसाई।
मरते बच्चे हाय, बिके घर बार अँगूठी।
मस्ती में सरकार, बड़ी बेदर्दी झूठी।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 21/06/2019

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