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3 Jan 2022 · 1 min read

चप्पल और ट्रेन

एक समय की बात है, मैं और मेरे एक करीबी मित्र सपरिवार रेलगाड़ी से बनारस की यात्रा पर थे। बातचीत हँसी-मजाक का दौर चल रहा था, तभी एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी। पूछने पर यात्रियों ने बताया कि यह ट्रेन यहाँ लगभग आधे घण्टे तक रुकती है। मौका अच्छा था, हम लोग कुछ खाने पीने के उद्देश्य से नीचे उतर आये। पेट पूजा के बाद हम पुनः ट्रेन में चढ़ने लगे। इसी दौरान मित्र की बिटिया का एक चप्पल गिर कर ट्रेन की पटरी के बीचोबीच चला गया। मित्र ने बिटिया से कहा ‘बेटी! चप्पल ऐसी जगह गिरा है कि वहाँ से लाना सम्भव नहीं है। चलो बनारस में नया खरीद देंगे।’ हम सब यथास्थान आकर बैठे ही थे कि हममें से किसी ने कहा ‘अभी ट्रेन के रुके दस मिनट भी नहीं हुए, यह 20 मिनट के बाद ही यहाँ से हिलेगी। जाइये चप्पल उठा लाइये, कोई दिक्कत नहीं होगी। मैं पहले भी यात्रा कर चुका हूँ, ट्रेन पूरे आधे घण्टे तक रुकी थी।’ इतना सुनते ही मित्र ट्रेन की दूसरी तरफ से उतरे और डिब्बे के नीचे घुसकर रेलवे ट्रैक पर दोनों पहियों के बीच में पड़ा चप्पल उठा लाये। जैसे ही वह आकर अपनी जगह पर बैठे, ट्रेन चलने लगी। यह देखकर हम सबके रोंगटे खड़े हो गए।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 03/01/2022

Language: Hindi
3 Likes · 644 Views
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