*” चन्द्रघन्टा मैया”*
“चन्द्रघण्टा मैया”
मस्तक पे अर्धचंद्र रत्न जड़ित मुकुट सोहे ,
दिव्य स्वर्ण कांति आभा मुख मंडल चन्द्रघन्टा ने लिया अवतार।
????????
दस हाथों बीस भुजाओं वाली ,
अस्त्र शस्त्र सुशोभित ,
शेर पे होके सवार लाल चुनरिया करके सोलह श्रृंगार।
दिव्य सौम्य आलौकिक हाथ में खड्ग ढाल मुंडमाला का हार।
????????
छम छम बाजे पैजनिया पांव में लगे लाल महावर।
अंगों की साड़ी पहने दुर्लभ छबि अति प्यारी सी लागे।
दैत्य मायावी महिषासुर को मारने आई ,
ढोल नगाड़ों घण्टा ध्वनि बाजे मृदंग शंखनाद की झनकार।
????????
स्वर्णिम वस्त्र धारण कर सूर्य की लालिमा युक्त आभा बिखेरती।
चन्द्रघन्टा माँ दिव्य स्वरूप आकर्षित कर सोलह श्रृंगार।
दैवीय शक्ति रूप धारण कर दैत्यों का करती संहार।
????????
भक्तों के मनोरथ पूर्ण कर माँ मनोवांछित फल देती।
सुख शांति समृद्धि चराचर जगत सारे ब्रम्हाण्ड में करती उपकार।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर पुष्पों के सुगंधित हार।
तेरा सुमिरन कर संकट से मुक्ति पाये ,दुःख क्लेश संताप मिटे श्रद्धा से भक्ति कर लो स्वीकार।
????????
“या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा
रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”
जय माँ चन्द्रघण्टा ?????
शशिकला व्यास✍️