“चक्र”
“चक्र”
मिट जाता है बीज भी
अपना अस्तित्व बचाने को
कोई आँसू छुपा लेता है
औरों को हँसाने को
सुख-दुःख के आने जाने में
एक में दूजे का जिक्र है,
पतझड़ का आना-जाना भी
मौसम का एक चक्र है।
“चक्र”
मिट जाता है बीज भी
अपना अस्तित्व बचाने को
कोई आँसू छुपा लेता है
औरों को हँसाने को
सुख-दुःख के आने जाने में
एक में दूजे का जिक्र है,
पतझड़ का आना-जाना भी
मौसम का एक चक्र है।