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3 Sep 2023 · 1 min read

चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं।

गज़ल

1212/1122/1212/22(112)
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं।
करूं मैं प्यार उसे, उसको ये पता भी नहीं।

ये इश्क मुश्क भी होता है रब की मर्जी से,
नहीं नसीब में मेरे मुझे गिला भी नही।

तमाम उम्र जिन्हें प्यार ही दिया मैंने,
उन्हीं ने ज़ख्म दिए हैं कोई दवा भी नहीं।

किये तमाम नशे मैने जिंदगी में मेरी,
तुम्हारे सामने ठहरा कोई नशा भी नहीं।

उसे मैं कैसे कहूं हमसफ़र बताए कोई,
अगर चे साथ में वो दो कदम चला भी नहीं।

नहीं है प्यार जिसे कैसे हम कहें प्रेमी,
कि दर्द प्यार में जिसने कभी लिया भी नहीं।

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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