चंद सांसे अभी बाकी है
टूट चुका हूं खटते खटते
बिखरना अभी बाकी है।
चंद सांसे अभी हैं।
जिसका जाना अभी बाकी है।
मौत रोज हमें सिरहाने खड़ी हो कर
पूछती है।
आजा भाई क्या देखना अभी बाकी है।
पूरी दुनिया देख ली।
बच्चे खेलाये पोते पोतियां खेलाये।
अब क्या रह गया है बाकी
अब शरीर भी काम नहीं कर रहा है।
तू किसका प्रतीक्षा कर रहा है।
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार