चंद अशआर
” चंद अशआर ” –
हिज्र का….. असर देख रहे हो ।
या अश्कों की नहर देख रहे हो ।।
पल में जो तुमको बेचैन कर दे ।
क्यूँ फ़िर ऐसी ख़बर देख रहे हो ।।
हम देख रहे जिस्म को फ़ना होते ।
और तुम रूह ए सफ़र देख रहे हो ।।
हमारी ग़ज़ल की आबरू हो तुम ।
अब क्या इसमें बहर देख रहे हो ।।
©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम
28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इक़बाल कॉलोनी
इंदौर , मप्र