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25 Oct 2016 · 1 min read

चंद अशआर लाया तुम्हारे लिये,

तरही गजल-

चंद अशआर लाया तुम्हारे लिये,
तुम गजल बनके आओ हमारे लिये,
————–_————–_————–
सुर्ख रातें बिताई अकेले सदा,
आंख में अश्क हरदम ही’ खारे लिये,

दिल लुटा हैं चुके हम अपना यहां,
और बैठे वफा के खसारे लिये,

डर गया हूं मैं’ लहरों के’ भंवर सुनो,
दूर बैठा हूं’ अपने किनारे लिये,

धुंध सी छा गई सामने अब मे’रे,
तू चला है गया सब नजारे लिये,

आंख की पुतलियों को न तरसा सनम,
लौट भी आ तु अब तो हमारे लिये।

पुष्प ठाकुर

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