चंद अशआर -ग़ज़ल
🎈🎈 चंद अशआर 🎈🎈
ज़ख़्म बेवफ़ाई का पुराना लगने लगा है ।
मौसम उदासी का सुहाना लगने लगा है ।।
लोग समझते हैं… पागल उस लड़के को ।
मुझे तो वो आशिक़, दीवाना लगने लगा है ।।
वो क्या जाने…… जुदाई का सबब यारों ।
हिज़्र भी जिन्हें….. फ़साना लगने लगा है ।।
अच्छा लगता है…. यादों में रहना जिनको ।
दिल ये उनको अब ठिकाना लगने लगा है ।।
इश्क़ को समझ रहे कोई सौदा ” वासिफ़ ” ।
इसमें भी अब तो… बयाना लगने लगा है ।।
© डॉ वासिफ़ क़ाज़ी इंदौर
© क़ाज़ी की कलम
28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इक़बाल कॉलोनी
इंदौर