Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2021 · 1 min read

चंद अल्फाज

1- पूँछिये हमसे गजल क्या चीज होती है
शेरो-अश्यार कहते हैं किसे नज्म क्या चीज होती है
चंद अल्फाजों मे दिल पिरो लिया जाये
ये वो अंदाजे-बयाँ होता है ये वो तरकीब होती है
-2 हम सौदागर अल्फाजों के हर्फे इबादत करते है
इश्क वालों के दर्द उठाये हुए हुश्न वालों से बगावत करते हैं
3- ये नज्म ये गजल बिखरी हुई किताबें
बयान कर रही हैं इक इक धड़कनों का राज
M.Tiwari”Ayen”

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 487 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
View all
You may also like:
!..........!
!..........!
शेखर सिंह
National Energy Conservation Day
National Energy Conservation Day
Tushar Jagawat
बुंदेली दोहा-नदारौ
बुंदेली दोहा-नदारौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिनांक:- २४/५/२०२३
दिनांक:- २४/५/२०२३
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कोई पागल हो गया,
कोई पागल हो गया,
sushil sarna
बचपन मिलता दुबारा🙏
बचपन मिलता दुबारा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
■ कामयाबी का नुस्खा...
■ कामयाबी का नुस्खा...
*प्रणय प्रभात*
मुक्तक... छंद मनमोहन
मुक्तक... छंद मनमोहन
डॉ.सीमा अग्रवाल
मजदूर की बरसात
मजदूर की बरसात
goutam shaw
प्यासा मन
प्यासा मन
नेताम आर सी
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
SPK Sachin Lodhi
जब तू रूठ जाता है
जब तू रूठ जाता है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
Harminder Kaur
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
विशाल शुक्ल
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
चलना था साथ
चलना था साथ
Dr fauzia Naseem shad
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
Lokesh Singh
बेहतर है गुमनाम रहूं,
बेहतर है गुमनाम रहूं,
Amit Pathak
लोगो खामोश रहो
लोगो खामोश रहो
Surinder blackpen
2366.पूर्णिका
2366.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
Phool gufran
विजयनगरम के महाराजकुमार
विजयनगरम के महाराजकुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
Neeraj Agarwal
"आँख और नींद"
Dr. Kishan tandon kranti
*दोहा*
*दोहा*
Ravi Prakash
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
Loading...